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*भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करेंगे – मुख्यमंत्री डॉ. यादव

*भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करेंगे - मुख्यमंत्री डॉ. यादव

*भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करेंगे – मुख्यमंत्री डॉ. यादव*
*चित्रकूट धाम में प्राधिकरण की सक्रियता के आधार पर कलेक्टर को चार्ज लेने के निर्देश*

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार भगवान श्रीराम वनगमन पथ तथा श्रीकृष्ण पाथेय अर्थात् भगवान श्रीराम ने मध्यप्रदेश के जिन-जिन स्थानों से यात्रा की हैं उन स्थानों को चिन्हित कर तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करेंगे। मध्यप्रदेश सरकार चित्रकूट के आवागमन का मार्ग या लंका विजय के पश्चात पुन: अयोध्या प्रयाण का जो मार्ग है उस मार्ग को चिहिन्त करते हुए तीर्थ के रूप में विकसित करने जा रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीराम ने जहां 11 वर्ष चित्रकूट धाम में व्यतीत किए हैं। उन्होंने सतना कलेक्टर को चित्रकूट विकास प्राधिकरण का चार्ज लेने के निर्देश दिए हैं। उस स्थान पर समेकित रूप से अलग-अलग स्थानीय और ग्रामीण निकायों और अन्य विभागों को साथ मिलकर एकीकृत योजना बनाते हुए चित्रकूट धाम पर भव्य पैमाने पर भगवान श्रीराम का काल स्मरणीय और दर्शनीय हो इसके लिए कार्य प्रारंभ किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीराम के गौरवशाली अतीत से प्रदेश का गहरा रिश्ता है। हम सौभाग्यशाली है कि भगवान श्रीराम ने मंदाकिनी के किनारे मध्यप्रदेश में लंबा समय गुजारा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भगवान श्रीराम के सभी भक्तों और श्रद्धालुओं से निवेदन करते हुए कहा है कि आइये अयोध्या धाम के साथ चित्रकूट धाम के भी दर्शन करें। सांस्कृतिक रूप से रिश्तों को प्रगाढ़ करें और एक बार मध्यप्रदेश अवश्य पधारें।

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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की मध्यप्रदेश में यात्राओं से संबंधित स्थल जैसे उज्जैन में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा, जानापाव में भगवान परशुराम जी ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान करने तथा धार के पास अमझेरा में रूक्मणी जी के हरण के पवित्र स्थानों को तीर्थ स्थल बनाने जा रही है। श्रीकृष्ण पाथेय मार्ग के लिए पर्यटन एवं संस्कृति विभाग को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे हमारे आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े लीला स्थलों को चिन्हित करते हुए तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करें।

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